गणित का अर्थ, परिभाषा एवं उसकी प्रकृति

गणित का अर्थ, परिभाषा एवं उसकी प्रकृति

गणित का अर्थ, परिभाषा एवं उसकी प्रकृति

गणित का अर्थ (Meaning of Mathematics):

गणित का अर्थ, Britannica वेबसाईट के अनुसार – गणित संरचना (structure), क्रम (order) और संबंध (relation) का विज्ञान है जो वस्तुओं के आकार (shapes of objects) को गिनने (counting), मापने (measuring) और वर्णन करने की मौलिक प्रथाओं (elemental practices) से विकसित हुआ है।

यह तार्किक-तर्क (logical reasoning) और मात्रात्मक गणना (quantitative calculation) से संबंधित है, और इसके विकास में इसके विषय वस्तु (subject matter) के आदर्शीकरण (idealization) और अमूर्तता (abstraction) की बढ़ती डिग्री शामिल है।

अर्थात गणित “वह शास्त्र है जिसमें गणना की प्रधानता हो”। गणित के सम्बंध में दी गई मान्यताओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि गणित अंक, आधार, चिन्ह आदि संक्षिप्त संकेतों का वह विधान है जिसकी सहायता से परिमाण, दिशा तथा स्थान का बोध होता है।

गणित विषय का प्रारंभ ही गिनती से हुआ है और संख्या पद्धति इसका एक विशेष क्षेत्र है जिसकी सहायता से गणित की अन्य शाखाओं का विकास किया गया है ।

अतः गणित एक विस्तृत पद है जिसकी बहुत सी शाखाएं एवं घटक है। इसको ध्यान में रखते हुए गणित शब्द कों परिभाषित करना मुश्किल है। इस व्यापकता के बावजूद गणित की कुछ परिभाषाएं नीचे दी गई हैं।

गणित की परिभाषाएं (Definitions of mathematics):

मार्शल एच स्टोन (Marshal H. Stone) के अनुसार- “गणित एक ऐसी अमूर्त व्यवस्था का अध्ययन है जो कि अमूर्त तत्वों से मिलकर बनी है। इन तत्वों को मूर्त रूप में परिभाषित किया गया है ।”

बर्टेण्द रसैल (Bertrand Russel) के अनुसार- “गणित एक ऐसा विषय है जिसमे यह भी नहीं जानते कि हम किसके बारे में बात कर रहें हैं और न ही यह जान पाते हैं कि हम जो कह रहें हैं वह सत्य है। “

गैलीलियो (Galileo) के अनुसार- “गणित वह भाषा है जिसमें परमेश्वर ने सम्पूर्ण जगत या बह्मांड को लिख दिया है। “

रोजर बेकन (Bacon) के अनुसार- ” गणित सभी विज्ञानों का मुख्य द्वार और कुंजी है। “

गॉस (Gauss) के अनुसार- ” गणित विज्ञान कि रानी है। “

बर्थलॉट (Berthelot) के अनुसार- “गणित सभी वैज्ञानिक शोधों का एक अति महत्वपूर्ण उपकरण है। “

गणित की प्रकृति (Nature of Mathematics):

गणित विषय की अपनी एक अलग प्रकृति है जिसके आधार पर हम उसकी तुलना किसी अन्य विषय से कर सकते हैं। किन्ही दो या दो से अधिक विषयों की तुलना का आधार उन विषयों की प्रकृति ही है जिसके आधार पर हम उस विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। गणित की प्रकृति कों निम्न बिंदुओं द्वारा भली-भांति समझा जा सकता है।

1. गणित की अपनी भाषा है। भाषा का तात्पर्य गणितीय पद, गणितीय प्रत्यय (mathematical concept), सूत्र (formula),  सिद्धांत (principle), तथा संकेतों (signs) से है जो कि विशेष प्रकार के होते है। तथा गणित की भाषा कों जन्म देते हैं।

2. गणित में संखयाएं (numbers), स्थान (place), दिशा (direction) तथा मापन या माप-तौल (measurement) का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।

3. गणित के नियम, सिद्धांत, सूत्र सभी स्थानों पर एक समान होते हैं जिससे उनके सत्यता की जाँच (test) किसी भी समय तथा किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।  

4. गणित के ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियाँ (senses) हैं। इसके ज्ञान का आधार निश्चित होता है जिससे उस पर विश्वास किया जा सकता है।

5. गणित का ज्ञान यथार्थ (real), क्रमबद्ध (systematic), तार्किक (logical) तथा अधिक स्पष्ट (more clear) होता है, जिससे उसे एक बार ग्रहण करके आसानी से भुलाया नहीं जा सकता।

6. गणित में अमूर्त प्रत्ययों (abstract concepts) को मूर्त रूप (concrete concepts) में परिवर्तित किया जाता है, साथ ही उनकी व्याख्या की जाती है।

7. इसमें सम्पूर्ण वातावरण में पायी जाने वाली वस्तुओं (goods) के परस्पर सम्बन्ध (association) तथा संख्या त्मक निष्कर्ष निकले जाते हैं।

8. इसके अध्ययन से प्रत्येक ज्ञान तथा सूचना स्पष्ट होती है तथा उसका एक सम्भावित उत्तर निश्चित होता है।

9. इसके विभन्न नियमों, सिद्धांतों, सूत्रों आदि में संदेह (doubt) की संभावना नहीं रहती है।

10. गणित के अध्ययन से आगमन (inductive), निगमन (deductive) तथा सामान्यीकरण (generalisation) की योग्यता विकसित होती है।

11. गणित के अध्ययन से बालकों में आत्म-विश्वास (self-confidence) और आत्म-निर्भरता (self-dependence) का विकास होता है।

12. गणित की भाषा सुपरिभाषित, उपयुक्त तथा स्पष्ट होती है।

13. गणित के ज्ञान से बालकों में प्रशांसात्मक दृष्टिकोण तथा भावना का विकास होता है।

14. इसमें प्रदत्तों अथवा सूचनाओं (संख्यात्मक) को आधार मानकर संख्यात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

15. गणित के ज्ञान का उपयोग (application) विज्ञान की विभन्न शाखाओं यथा-भौतिक, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान तथा अन्य विषयों के अध्ययन में किया जाता है।

16. गणित, विज्ञान की विभन्न शाखाओं के अध्ययन में सहायक ही नहीं, बल्कि उनकी प्रगति तथा सांगठन की आधारशिला है।

17. इससे बालकों में स्वस्थ तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण (scientific view) विकसित होता है।

उपरोक्त बिंदुओं  के आधार पर हम गणित की प्रकृति को समझ सकते हैं तथा निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि वास्तव में गणित की सांरचना, जो कि उसकी प्रकृति की आधारशिला है, अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक सुदृढ़ है।

रोजर बेकन ने ठीक ही कहा है कि गणित सभी विज्ञानों का मुख्य द्वार (gate) और कुंजी है।

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