कार्य तथा ऊर्जा

कार्य तथा ऊर्जा

कार्य तथा ऊर्जा

Class 9 Science Chapter 11. कार्य तथा ऊर्जा

पाठ्यपुस्तक NCERT
कक्षा कक्षा 9
विषय विज्ञान
अध्याय अध्याय 11
प्रकरण कार्य तथा ऊर्जा

कार्य (Work):

◆ कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। सजीवों में ऊर्जा भोजन से मिलती है। मशीनों की उर्जा ईंधन से मिलती है।

कठोर कार्य करने के बावजूद कुछ अधिक कार्य नहीं- सभी प्रक्रियाओं, लिखना, पढ़ना, चित्र बनाना, सोचना, विचार-विमर्श करना आदि में उर्जा व्यय होती है। लेकिन वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार इनमे बहुत थोड़ा- सा नगण्य कार्य हुआ।

उदाहरण –

(1) एक व्यक्ति किसी दीवार या चट्टान को धकेलने में पूर्णता थक जाता है लेकिन दीवार के ना हिलने के कारण कोई कार्य नहीं होता।

(2) एक व्यक्ति भारी सूटकेस लेकर बिना हिले डुले खड़े-खड़े थक जाता है लेकिन स्थिर होने के कारण उसने कोई कार्य नहीं किया।

कार्य किया जाता है जब–

(i) एक चलती हुई वस्तु विराम अवस्था में आ जाये।

(ii) एक वस्तु विराम अवस्था से चलना शुरू कर दें।

(iii) एक गतिमान वस्तु का वेग परिवर्तन हो जाये।

(iv) एक वस्तु का आकार परिवर्तन हो जाये।

➲ कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना-

◆ कार्य किया जाता है जब एक बल, वस्तु में गति उत्पन्न करता है।

◆ कार्य किया जाता है जब एक वस्तु पर बल लगाया जाता है और वस्तु बल के प्रभाव से गतिशील हो जाती है।

➲ कार्य करने की दिशा-

(i) वस्तु पर बल लगाना चाहिए।

(ii) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।

उदाहरण –

कार्य हो रहा है–

(1) एक साइकिल सवार साइकिल में पैडल मार रहा है।

(2) एक व्यक्ति बोझे को ऊपर की तरफ या नीचे की तरफ ले जा रहा है।

➲ कार्य नहीं हो रहा है–

(1) जब कुली वजन लेकर स्थिर खड़ा है।

(2) व्यक्ति दीवार पर बल लगा रहा है।

एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य– एक गतिमान वस्तु पर किया गया कार्य वस्तु पर लगे बल तथा वस्तु द्वारा बल की दिशा में किए गए कार्य के गुणनफल के बराबर होता है।

कार्य (W) = बल (F) x विस्थापन (s)

◆ कार्य एक अदिश राशि है।

◆ कार्य का मात्रक न्यूटन मीटर या जुल है।

जूल (Joule)– जब बल वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर (m) विस्थापित कर देता है तो एक जूल (J) कार्य होता है।

1 जूल (J)= 1 न्यूटन (N) x 1 मीटर (m)

कार्य का परिणाम निम्न दशाओं पर निर्भर करता है–

(i) बल का परिमाण–

ज्यादा बल – ज्यादा किया गया कार्य

कम बल – कम किया गया कार्य

(ii) विस्थापन–

ज्यादा विस्थापन –ज्यादा किया गया कार्य

कम विस्थापन – कम किया गया कार्य

धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य कार्य-

एक बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक ऋणात्मक या शून्य हो सकता है।

(i) धनात्मक कार्य (Positive Work):

◆ कार्य धनात्मक होता है जब बल वस्तु की गति की दिशा में लगाया जाता है। उदाहरण- एक बच्चा खिलौना गाड़ी को पृथ्वी के समानांतर खींच रहा है यह धनात्मक कार्य है।

(ii) ऋणात्मक कार्य (Negative Work):

◆ ऋणात्मक कार्य तब होता है जब बल वस्तु की गति की विपरीत दिशा में लगाया जाता है। (180 डिग्री के कोण पर)

उदाहरण –

(a) जब हम जमीन पर रखे फुटबॉल पर किक मारते हैं तो फुटबॉल किक मारने की दिशा में चलती है यह धनात्मक कार्य है।

(b) लेकिन जब फुटबॉल रूकती है उस पर घर्षण बल गति की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है। यहाँ कार्य ऋणात्मक है।

(iii) शुन्य कार्य (Zero Work):

◆ कार्य शुन्य होता है जब लगाये गये बल और गति की दिशा में 90 डिग्री का कोण बनता है।

उदाहरण –

◆ चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ गोलीय पथ में गति करता है। यहां पर पृथ्वी का गुरुत्व बल चंद्रमा की गति की दिशा के साथ 90 डिग्री का कोण बनाता है। अतः किया गया कार्य शून्य है।

◆ ऋणात्मक चिन्ह का अर्थ पृथ्वी के गुरुत्व बल के विपरीत कार्य है।

◆ धनात्मक कार्य पृथ्वी के गुरुत्व बल की दिशा में किया गया कार्य है।

उदाहरण- एक कुली 15 Kg बोझ जमीन से उठाकर 1.5 m (जमीन के ऊपर) अपने सिर पर रखता है। उसके द्वारा बोझ पर किये गये कार्य का परिकलन कीजिए।

उर्जा (Energy):

(i) सूर्य ऊर्जा का विशालतम स्रोत है।

(iii) कुछ उर्जा परमाणुओं के नाभिक पृथ्वी के आंतरिक भाग तथा ज्वार भाटों से प्राप्त होती है।

(ii) अधिकतर ऊर्जा स्रोत सूर्य से उत्पन्न होते हैं।

ऊर्जा की परिभाषा-

◆ कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।

◆ किसी वस्तु में निहित ऊर्जा, उस वस्तु द्वारा किये जाने वाले कार्य के बराबर होती है। कार्य करने वाली वस्तु में ऊर्जा की हानि होती है तथा जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है उसकी ऊर्जा में वृद्धि होती है।

◆ उर्जा एक अदिश राशि है।

◆ ऊर्जा का S.I. मात्रक जूल (J) है।

◆ ऊर्जा का बड़ा मात्रक किलो जूल है।

1 KJ = 1000 J

ऊर्जा के रूप (Forms of Energy):

◆ ऊर्जा के मुख्य रूप है-

(i) गतिज ऊर्जा

(ii) स्थितिज ऊर्जा

(iii) ऊष्मीय ऊर्जा

(iv) रासायनिक ऊर्जा

(v) विद्युत ऊर्जा

(v) प्रकाश ऊर्जा

(vi) ध्वनि ऊर्जा

(vii) नाभिकीय ऊर्जा

यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy)– किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

अथवा किसी वस्तु की गति या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।

गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)– किसी वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं।

गतिज ऊर्जा के उदाहरण-

● एक गतिशील क्रिकेट बॉल।

● बहता हुआ पानी।

● एक गतिशील गोली।

● बहती हुई हवा।

● एक गतिशील कार।

● एक दौड़ता हुआ खिलाड़ी।

● लुढ़कता हुआ पत्थर।

● उड़ता हुआ हवाई जहाज।

➲ गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान तथा वस्तु के वेग के समानुपाती होता है।

गतिज ऊर्जा का सूत्र– यदि m द्रव्यमान की एक वस्तु एक समान वेग u से गतिशील है। इस वस्तु पर एक नियत बल f विस्थापन की दिशा में लगता है और वस्तु s दूरी तक विस्थापित हो जाती है, इसका वेग u v हो जाता है। तब त्वरण उत्पन्न होता है।

किया गया कार्य (w) = f x s                ……….. (i)

तथा                   f = m.a                  ……….. (ii)

गति के तीसरे समीकरण के अनुसार u, v, s, तथा a में निम्न संबंध है-

              v2 – u2 = 2 a.s

    अतः              s = (v2 – u2 ) / 2 a  ………. (iii)

    समीकरण (ii) तथा (iii) से f तथा s का मान समीकरण (i) में रखने पर

                           w = m.a x (v2 – u2) / 2 a  

                           w = m x (v2 – u2) / 2  

                           w = ½  .m (v2 – u2)    

     यदि वस्तु विराम अवस्था से चलना शुरू करती है, u = 0

                           w = ½ .m v2      

                          Ek = ½ .m v2      

उदाहरण- 15 Kg द्रव्यमान की एक वस्तु 4 m/s के एक समान वेग से गतिशील है। वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होगी ?

हल – वस्तुओं का द्रव्यमान (m) = 15 Kg

वस्तु का वेग (v) = 4 m/s

गतिज ऊर्जा (Ek) = ½ .m v2   

                        = ½ x 15 x 42   

                        = 120 J

अतः वस्तु की गतिज ऊर्जा 120 J है ।

स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)– किसी वस्तु में वस्तु की स्थिति या इसके आकार में परिवर्तन के कारण जो कार्य करने की क्षमता होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।

उदाहरण –

(i) बांध में जमा किया गया पानी– यह पृथ्वी से ऊंची स्थिति के कारण टरबाइन को घुमा सकता हैं, जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।

(ii) खिलौना कार की कसी हुई स्प्रिंग- जब खिलौना कार का कसा हुआ स्प्रिंग खुलता है, तो इसमें संचित स्थितिज ऊर्जा निर्मुक्त होती है जिसे खिलौना कार चलती है।  

(iii) धनुष की तनित डोरी- धनुष की आकृति मैं परिवर्तन के कारण उसमें संचित स्थितिज ऊर्जा (तीर छोड़ते समय) तीर की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

स्थितिज ऊर्जा का प्रभाव प्रभावित करने वाले कारक–

स्थितिज ऊर्जा निर्भर करती है–

(i) द्रव्यमान (mass)– P. E ∝ m

◆ वस्तु का द्रव्यमान ज्यादा होगा तो स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी।

◆ वस्तु का द्रव्यमान कम होगा तो स्थितिज ऊर्जा कम होगी।

(ii) पृथ्वी तल से ऊंचाई – P. E ∝ h

(यह उस रास्ते पर निर्भर नहीं करता जिस पर वस्तु ने गति की है)

◆ वस्तु की पृथ्वी तल से ऊंचाई ज्यादा होगी तो स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी।

◆ वस्तु की पृथ्वी तल से ऊंचाई कम होगी तो स्थितिज ऊर्जा कम होगी।

(iii) आकार में परिवर्तन –

वस्तु में जितना ज्यादा खिंचाव (stretching), ऐठन (twisting) या झुकाव (bending) होगा उतनी ही स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी।

किसी ऊंचाई पर वस्तु की स्थिति ऊर्जा-

यदि m द्रव्यमान की वस्तु को पृथ्वी के ऊपर h ऊंचाई तक उठाया जाता है तो पृथ्वी का गुरुत्व बल (m x g) नीचे की दिशा में कार्य करता है। वस्तु को उठाने के लिए गुरुत्व बल के विपरीत कार्य किया जाता है।

अतः किया गया कार्य (w) = बल x विस्थापन

                                w = m.g x h

                                w = m.g.h

यह कार्य वस्तु में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।

अतः स्थितिज ऊर्जा (P. E) = m x g x h      

(यहाँ g पृथ्वी का गुरुत्व त्वरण है।)

उदाहरण- 10 Kg द्रव्यमान की एक वस्तु को धरती से 6 m ऊंचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए ?

हल – वस्तु की स्थितिज ऊर्जा (EP ) = m.g.h

                  वस्तु का द्रव्यमान (m) = 1 Kg

         धरती से वस्तु की ऊंचाई (h) = 6 m

            पृथ्वी का गुरुत्व त्वरण (g) = 10 m.s-2 

                                       (EP ) = m.g.h

                                       (EP ) = 10 x 6 x 10

                                       (EP ) = 600 J

अतः वस्तु की स्थितिज ऊर्जा 600 जूल (J) है ।

ऊर्जा का रूपांतरण – ऊर्जा के एक रूप से ऊर्जा के दूसरे रूप में परिवर्तन को ऊर्जा का रूपांतरण कहते हैं।

उदाहरण –

(i) एक निश्चित ऊंचाई पर एक पत्थर में स्थितिज ऊर्जा होती है। जब यह नीचे गिरायी जाती है, तो जैसे-जैसे ऊंचाई कम होती जाती है वैसे वैसे पत्थर की स्थितिज ऊर्जा कम होती जाती है। लेकिन नीचे गिरते पत्थर का वेग बढ़ने के कारण पत्थर की गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है, जैसे ही पत्थर जमीन पर पहुंचता है, इसकी स्थितिज ऊर्जा शुन्य हो जाती है और गतिज ऊर्जा अधिकतम हो जाती है। इस प्रकार सारी स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।

(ii) पन बिजली घर (Hydroelectric power house) में पानी की स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है तथा बाद में विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है।

(iii) तापीय बिजली घर (Thermal power house) में कोयले की रासायनिक ऊर्जा ऊष्मीय  ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। यही ऊष्मीय ऊर्जा गतिज ऊर्जा तथा विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।

(iv) पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा सौर ऊर्जा का उपयोग भोजन की रासायनिक ऊर्जा बनाने में करते हैं।

ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of conservation of Energy):

◆ जब ऊर्जा का एक रूप ऊर्जा के दूसरे रूप में रूपांतरित होता है तब कुल ऊर्जा की मात्रा अचर (constant) रहती है।

◆ ऊर्जा की न तो उत्पत्ति हो सकती है और न ही विनाश।

◆ हालांकि ऊर्जा रूपांतरण के दौरान कुछ ऊर्जा बेकार (ऊष्मीय ऊर्जा या ध्वनि के रूप में) हो जाती है, लेकिन निकाय की कुल ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है।

एक वस्तु के मुक्त पतन (Free Fall) के समय ऊर्जा का संरक्षण–

◆ m द्रव्यमान की एक वस्तु में h ऊंचाई पर स्थितिज ऊर्जा (Potential energy) = mgh

◆ जैसे वस्तु नीचे गिरती है ऊंचाई h घटती है, और स्थितिज ऊर्जा भी घटती है।

◆ ऊंचाई h पर गतिज ऊर्जा शून्य थी, लेकिन वस्तु के नीचे गिरने के समय यह बढ़ती जाती है।

◆ मुक्त पतन के समय किसी भी बिंदु पर स्थितिज और गतिज ऊर्जा का योग समान रहता है।

½ . m.v  + mgh = अचर (constant)

गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा = अचर

शक्ति (Power)– कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं।

शक्ति (P) = किया गया कार्य (w) / लिया गया समय (t)

P = w/t

जहां P = शक्ति, w = किया गया कार्य, t = लिया गया समय

◆ शक्ति का S.I. मात्रक वाट (watt), या जूल / सेकंड है।  

1 Watt = 1Joule / 1second 

◆ जब 1 जूल कार्य 1 सेकंड में होगा, तो शक्ति 1 वाट होगी।

औसत शक्ति (Average Power) = (किया गया कुल कार्य या उपयोग की गई कुल ऊर्जा) / लिया गया कुल समय

विद्युत उपकरणों (Electric appliances) की शक्ति-

विद्युत उपकरणों के द्वारा विद्युत ऊर्जा को उपयोग करने की दर को विद्युत उपकरण की शक्ति कहते हैं।

◆ शक्ति का बड़ा मात्रक किलो वाट (KW) है।

1 किलोवाट = 1000 वाट = 1000 जूल / सेकंड

उदाहरण- एक वस्तु 5 सेकंड में 20 जूल कार्य करती है। इसकी शक्ति कितनी है ?

हल –

किया गया कार्य (W) = 20 J

 लिया गया समय (t) = 5 s

              शक्ति (P) = किया गया कार्य (w) / लिया गया समय (t)

              शक्ति (P) = 20 जूल / 5 सेकेंड

              शक्ति (P) = 4Js-1 = 4 W

अतः वस्तु की शक्ति 4 वाट

ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक– जूल ऊर्जा का बहुत छोटा मात्रक है। उर्जा की ज्यादा मात्रा उपयोग होती है वहां पर इसका उपयोग सुविधाजनक नहीं है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ऊर्जा के बरे मात्रक किलो वाट घंटा (KWh) का उपयोग करते हैं।

किलो वाट घंटा (KWh)– जब 1 किलो वाट शक्ति का विद्युत उपकरण, 1 घंटे के लिए उपयोग में लाया जाता है तब 1 किलो वाट घंटा (KWh) ऊर्जा व्यय होगी। 

किलोवाट घंटा तथा जूल में संबंध- 1 किलोवाट घंटा ऊर्जा कि वह मात्रा है जो 1 किलोवाट प्रति घंटा की दर से व्यय होती है।

1 किलोवाट घंटा = 1 किलोवाट x 1 घंटा

उदाहरण- 60 वाट का बल्ब प्रतिदिन 6 घंटे उपयोग किया जाता है। बल्ब द्वारा 1 दिन में खर्च की गयी ऊर्जा की यूनिटों का परिकलन कीजिए।

हल – विद्युत बल्ब की शक्ति (P) = 60/1000 KW = 0.06 KW

     उपयोग किया गया समय (t) = 6 h

                                  ऊर्जा = शक्ति x लिया गया समय

                                          = 0.06 KW x 6 h

                                          = 0.36 KWh = 0.36 यूनिट

अतः बल्ब द्वारा 0.36 यूनिट खर्च की गयी।

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