गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण

Class 9 Science Chapter 10. गुरुत्वाकर्षण

पाठ्यपुस्तकNCERT
कक्षा कक्षा 9
विषय विज्ञान
अध्याय अध्याय 10
प्रकरण गुरुत्वाकर्षण

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल

➲ अगर हम कोई एक पत्थर बिना धक्का दिए फेकते हैं, (एक ऊंचाई से) वह पत्थर पृथ्वी की ओर त्वरित होता है जब पत्थर धरती की तरफ त्वरित होता है तो पता चलता है कि कोई एक बल उस पत्थर पर लग रहा है।

➲ वह बल जो किसी भी वस्तु को धरती के केंद्र की तरफ खींचता है, वह पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।

➲ इसका मतलब है कि पृथ्वी भी धरती को आकर्षित करता है, यानी इस ब्रह्मांड में सभी वस्तुएं एक दूसरे को आकर्षित करती है।

सर आइजैक न्यूटन (Isaac Newton) ने गुरुत्वाकर्षण का नियम दिया, जिसे उन्होंने 1687 में प्रतिपादित किया था।

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम – न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार, दो पिण्डों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल का अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।

➲ यदि दो पिण्डों का द्रव्यमान m1 और m2 हो और उनके बीच की दूरी d हो, तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल,

                       F ∝ m1.m2 / d2 

या                    F = G.m1.m2 / d2

व्युत्पत्ति गुरुत्वाकर्षण का नियम:

मान लेते हैं m1 और m2 द्रव्यमान की दो वस्तुएं A और B एक दूसरे से d दूरी पर रखी है। दोनों वस्तुओं के बीच आकर्षक बल F होता है। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार–

(i) दो वस्तुओं के बीच बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमनुपाती होता है

अर्थात F ∝ m1.m2                     ……(i)

(ii) दो वस्तुओं के बीच बल उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है

अर्थात F ∝ 1 / d2                      ……(ii)

समीकरण (i) और (ii) को संयुक्त करने पर

F ∝ m1.m2 / d2 

F = G.m1.m2 / d2      

➲ जहां पर G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक कहलाता है। इनका मान किन्ही भी दो वस्तुओं के लिए सभी स्थानों पर समान होता है। इसका मान 6.67 x 10-11 Nm2 /Kg2 

➲ G को सार्वत्रिक स्थिरांक कहते हैं, क्योंकि इसका मान मध्यवर्ती माध्यम की प्रकृति या तापमान या अन्य किसी प्रतिवर्त पर निर्भर नहीं करता।

न्यूटन के गति का तीसरा नियम और गुरुत्वाकर्षण के नियम में संबंध

न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार – किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके बराबर लेकिन विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार – “हर एक वस्तु इस ब्रह्मांड में हर दूसरी वस्तु को आकर्षित करती है।” स्वतंत्र रूप से गिरा पत्थर और धरती एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। अतः पृथ्वी उसे अपना केंद्र की ओर खींचती है, लेकिन न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार पत्थर द्वारा भी पृथ्वी को अपनी ओर खींचना चाहिए और वास्तव में पत्थर भी पृथ्वी को अपनी तरफ खींचता है।

F = m x a

पत्थर का द्रव्यमान कम होने के कारण उसके वेग में त्वरण 9.8 m/s2 होता है, लेकिन पृथ्वी का द्रव्यमान अधिक होने के कारण उसका त्वरण 1.65 x 10-24 m/s2 जो इतना कम होता है कि अनुभव ही नहीं हो सकता।

गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व

(i) हमें पृथ्वी से बांधे रखने वाला बल

(ii) पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति

(iii) सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति

(iv) चंद्रमा और सूर्य के कारण ज्वार भाटा

मुक्त पतन (Free Fall)

जब किसी वस्तु को ऊपर की ओर फेंका जाता है तब यह एक निश्चित ऊंचाई तक पहुंच कर नीचे की ओर गिरना आरंभ कर देता है क्योंकि उस पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल आरोपित होता है।

मुक्त पतन – किसी वस्तु का पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के प्रभाव के पतन (गिरना), मुक्त पतन कहलाता है। मुक्त पतन में, वस्तु के वेग की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता क्योंकि वह हमेशा पृथ्वी की तरफ गिरती है। लेकिन वस्तु के वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है। पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण वस्तु के वेग में परिवर्तन या त्वरण गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है। उसे ‘G’ से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक वही है जो त्वरण का (m/s2)

गुरुत्वीय त्वरण और पृथ्वी पर उसका नाम

स्वतंत्र रूप से गिरती हुई वस्तु में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्पन्न त्वरण गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है। इसे ‘g’ से प्रदर्शित किया जाता है तथा इसकी दिशा सदैव पृथ्वी के केंद्र की तरफ होती है।

पृथ्वी की सतह पर ‘g’ का मान

पृथ्वी द्वारा किसी पिंड पर लगने वाला बल

F = G.M.m / R2      

जहां M = पृथ्वी का द्रव्यमान, m = पिण्ड का द्रव्यमान, R = पृथ्वी की त्रिज्या, F बल लगने के कारण उत्पन्न त्वरण गुरुत्वीय त्वरण होगा।

तब      F = m x g

F का मान (i) में रखने पर

   m x g = G.M.m / R2      

          g = G.M.m / m.R2     

          g = G.M / R2      

[ जहां G = 6.6734 x 10-11 Nm2 /Kg2, M = पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 Kg, R = पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 x 106 m ]

          g = (6.6734 x 10-11 x 6 x 1024)/(6.4 x 106 x 6.4 x 106)

          g = 9.8 m/s2

गुरुत्वीय त्वरण (g) और गुरुत्व स्थिरांक (G) में संबंध

          g = G.M / R2      

गुरुत्वीय त्वरण (g) और गुरुत्व स्थिरांक (G) में अंतर

गुरुत्वीय त्वरण (g)गुरुत्व स्थिरांक (G)
इसका मान 9.8 m/s2 होता है।इसका मान 6.6734 x 10-11 Nm2/Kg2 होता है।
इसका मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है।  इसका मान सदैव स्थिर होता है।  
इसका मात्रक m/s2 है।इसका मात्रक Nm2/Kg2 होता है।
यह एक सदिस राशि है।यह एक अदिश राशि है।

प्रश्न – 150 ग्राम और 500 ग्राम के पत्थर एक मीनार की चोटी से गिराये जाये तो कौन सा पत्थर पृथ्वी पर पहले पहुंचेगा और क्यों ?

उत्तर – सर्वप्रथम गैलीलियो ने बताया कि यह अवधारणा बिल्कुल गलत है कि हल्की वस्तु की अपेक्षा भारी वस्तु पृथ्वी पर जल्दी पहुंचती है, अगर दोनों को एक साथ किसी ऊंचाई से गिराया जाए।

एक ही उचाई से गिराये जाने पर भिन्न-भिन्न द्रव्यमान के पिण्ड एक ही साथ पृथ्वी की सतह पर पहुंचेंगे क्योंकि पृथ्वी की ओर गिरते गिरते हुए पिण्ड का त्वरण उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है। गुरुत्वाकर्षण का नियम इसकी पुष्टि करता है।

माना ‘m’ द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी के केंद्र से ‘d’ दूरी से गिरता है, तो पृथ्वी द्वारा लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल,

                              F = G.M.m / d2      

M = पृथ्वी का द्रव्यमान ……. समीकरण (i) में

लेकिन पत्थर पर लगने वाला बल,

                             F = m.a  

F का मान समीकरण (i) में रखने पर,

                         m.a = G.M.m / d2      

                             a = G.M / d2      

अतः स्वतंत्र रूप से गिरते हुए पिण्ड में उत्पन्न त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान और पृथ्वी के केंद्र से उसकी दूरी पर निर्भर करता है। अतः 150 ग्राम व 500 ग्राम के पत्थर ऊपर से गिरने पर एक ही समय पर सतह (पृथ्वी) पर पहुंचेंगे।

नीचे की ओर गिरती हुई और ऊपर की ओर फेंकी गई वस्तुओं के लिए गति के समीकरण-

1. यदि कोई वस्तु आरंभिक वेग u से नीचे गिर रही है तब,

       t सेकंड पश्चात अंतिम वेग (v)  = u + gt         …..(1)

t सेकंड पश्चात तय की गई दूरी (h) = ut + ½ gt2   …..(2)

                  u, v व h में संबंध v2 = u2 + 2 gh    …..(3)

2. यदि कोई वस्तु विराम की अवस्था से नीचे गिर रही है तब आरंभिक वेग u = 0

     t सेकंड पश्चात, अंतिम वेग (v) = gt                …..(1)

     t सेकेंड पश्चात तय की गई दूरी = ½ gt2          …..(2)

                  u, v व h में संबंध v2 = 2 gh            …..(3)

3. जब कोई वस्तु आरंभिक वेग u से ऊपर जा रही है, तब गुरुत्वीय त्वरण g ऋणात्मक होगा क्योंकि वस्तु के वेग की दिशा ऊपर की ओर है गुरुत्वीय त्वरण की दिशा नीचे की ओर। इस स्थिति में

        t सेकंड पश्चात अंतिम वेग (v) = u – gt          …..(1)

 t सेकंड पश्चात तय की गई दूरी (h) = ut – ½ gt2   …..(2)

                   u, v व h में संबंध v2 = u2 – 2 gh    …..(3)

द्रव्यमान और भार

द्रव्यमान – किसी वस्तु में निहित पदार्थ का परिमाण द्रव्यमान कहलाता है या किसी वस्तु के जड़त्व की माप द्रव्यमान कहलाती है। यह एक अदिश राशि है। इसका सिर्फ परिमाण होता है, दिशा नहीं होती है। इसका S.I. मात्रक किलोग्राम है, जिस ‘Kg’ से प्रदर्शित किया जाता है।

➲ किसी वस्तु का द्रव्यमान सर्वत्र समान रहता है।

➲ द्रव्यमान को ‘m’ से दर्शाया जाता है।

➲ किसी स्थान पर द्रव्यमान (किसी वस्तु का) शून्य नहीं होता है।

भार – किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे पृथ्वी उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। हम जानते हैं कि,

                     बल = द्रव्यमान x त्वरण

                       F = m x a

पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण गुरुत्वीय त्वरण ‘g’ है।

                       F = m x g

लेकिन पृथ्वी द्वारा आरोपित बल भार कहलाता है । इसे ‘W’ से प्रदर्शित करते हैं।

W = m x g

अतः भार एक बल है और उसका S.I. मात्रक न्यूटन है, जिस ‘N’ से प्रदर्शित किया जाता है।

1 किलो भार को परिभाषित कीजिए व इसका न्यूटन से संबंध बताइए।

हम जानते हैं कि W = m x g

अगर द्रव्यमान (m) = 1 Kg

g = 9.8 m/s2 

w = 1 Kg x 9.8 m/s2 = 9.8 Kg.m/s2 

w = 9.8 N

अतः पृथ्वी का वह गुरुत्वीय बल जो 1 किलोग्राम द्रव्यमान वाली वस्तु पर लगता है, 1 किलो भार कहलाता है, जो 9.8 न्यूटन के बराबर है।

द्रव्यमान और भार में अंतर

द्रव्यमानभार
किसी वस्तु में निहित कुल द्रव्य की मात्रा वस्तु का द्रव्यमान कहलाती है   जिस गुरुत्वीय बल से पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है, वह वस्तु का भार कहलाता है
किसी वस्तु के द्रव्यमान की माप हम वस्तु के जड़त्व की माप से करते हैं भार = वस्तु का द्रव्यमान x गुरुत्वीय त्वरण
या W = m x g
किसी वस्तु का द्रव्यमान सर्वत्र समान रहता हैवस्तु का भार भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है
द्रव्यमान का माप भौतिक तुला द्वारा करते हैंभार का माप कमानीदार तुला द्वारा करते हैं
यह एक अदिश राशि हैभार एक सदिश राशि है
किसी स्थान पर ‘g’ का मान शून्य होने पर भी द्रव्यमान का परिमाण नहीं बदलताकिसी स्थान पर ‘g’ का मान शून्य होने पर, वस्तु का भार भी शून्य हो जाता है

‘g’ को प्रभावित करने वाले कारक – पृथ्वी एक पूर्ण गोला नहीं है। पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवो से विषुवत वृत्त की ओर जाने पर बढ़ती है, इसलिए ‘g’ का मान ध्रुवों पर विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक होता है। अधिकांश घटनाओं के लिए पृथ्वी के पृष्ठ पर या उसके ‘g’ के मान को लगभग स्थिर मान सकते हैं लेकिन पृथ्वी से दूर की वस्तुओं के लिए पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण समीकरण g = G.M / d2 से ज्ञात किया जा सकता है

प्रश्न – पृथ्वी के केंद्र से 12,800 किमी. की दूरी पर गुरुत्वीय त्वरण का मान क्या होगा ?

उत्तर – हम जानते हैं कि पृथ्वी की त्रिज्या (R) = 6,400 किमी. पृथ्वी के केंद्र से 12,800 किमी. की दूरी = 2R

                 g1 = G.M / R2

अतः 12,800 किमी. या 2R दूरी होने पर,

g2 = G.M / (2R)2 = G.M / 4R2 

g1 / g2 = [G.M / R2 ] / [G.M / 4R2 ] = 4 / 1    

g1 / g2 = 4 / 1

g1 = 4 g2

g2 = g1 / 4 

अतः पृथ्वी के केंद्र से 12,800 किमी. की दूरी गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी के धरातल के गुरुत्वीय त्वरण का ¼ होगा या हम कह सकते हैं कि 12,800 किमी. की दूरी पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी के भार का ¼ भाग होगा।

चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार, उसके पृथ्वी के भार का 1/6 होता है।

माना किसी वस्तु का द्रव्यमान m है। पृथ्वी पर उसका भार अर्थात वह बल जिससे पृथ्वी उसे अपनी ओर खींचती है, वह बल होगा।

Fe = G.Me.m / Re2     …………………….(1)

जहां Me = पृथ्वी का द्रव्यमान, Re = पृथ्वी की त्रिज्या

चंद्रमा पर वस्तु का भार

Fm = G.Mm.m / Rm2    …………………..(2)   

जहां Mm = चंद्रमा का द्रव्यमान, Re = चंद्रमा की त्रिज्या

समीकरण (2) को समीकरण (1) से भाग देने पर

Fm / Fe = [G.Mm.m / Rm2 ] / [G.Me.m / Re2 ]

Fm / Fe = [ Mm / Me ] x [ Re2 ] / [ Rm2

Fm / Fe = [ Mm / Me ] x [ Re / Rm ]2   

Me = 100 Mm (चंद्रमा से पृथ्वी का द्रव्यमान लगभग 100 गुना है)

Re = 4 Rm (चंद्रमा से पृथ्वी की त्रिज्या लगभग 4 गुना है)

Fm / Fe = [ Mm / 100 Mm ] x [ 4 Rm / Rm ]2   

Fm / Fe = 16 / 100 या 1 / 6

अतः चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार उसके पृथ्वी के भार का 1/6 है। (ध्यान रहे वस्तु का द्रव्यमान पृथ्वी पर वस्तु के द्रव्यमान के बराबर ही होता है केवल भार में अंतर होता है।)

अंतरिक्ष में फेंकी गई वस्तु लगातार पृथ्वी के चारों ओर किस प्रकार घूमती है ?

यह संभव है कि किसी वस्तु को पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करने पर बाध्य किया जा सकता है। हम जानते हैं कि जैसे-जैसे वस्तु की आरंभिक चाल बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे वस्तु भी पृथ्वी की सतह के साथ अधिक वक्र होती जाती है। पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण उसकी सतह तक आने के लिए और अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। यदि आरंभिक चाल का मान एक निश्चित मान से अधिक कर दिया जाये वह वस्तु लगातार गिरती जाएगी लेकिन पृथ्वी की सतह तक कभी नहीं पहुंचेगी और ऐसी वस्तु लगातार पृथ्वी के चारों ओर घूमती रहेगी।

प्रणोद तथा दाब (Thrust and Pressure)

प्रणोद – किसी वस्तु की सतह के लम्बवत् लगने वाला बल, प्रणोद कहलाता है।

दाब – प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला प्रणोद, दाब कहलाता है।

दाब = प्रणोद / क्षेत्रफल

दाब का मात्रक – बल (प्रणोद) का मात्रक N व क्षेत्रफल का मात्रक m2 है।

दाब का S. I. मात्रक N/m2 या N.m-2 है।

दाब का SI मात्रक पास्कल (Pascal) है। यह ‘Pa’ से प्रदर्शित किया जाता है।

दाब को प्रभावित करने वाले कारक

(i) लगाया गया बल

(ii) सतह का क्षेत्रफल

उदाहरण –

➲ ऊंचे भवनों के आधार नीव चौड़े बनाए जाते हैं ताकि भवन का भार अधिक क्षेत्रफल पर लगे और दाब कम पड़े।

➲ एक पतली और मजबूत डोरी से बने पट्टे वाले बैग को ले जाना चौड़े पट्टे वाले बैग की अपेक्षा कठिन तथा कष्टप्रद होता है क्योंकि पतली मजबूत डोरी वाले बैग में, बैग का भार बहुत कम क्षेत्रफल पर लगता है और बहुत अधिक दाब उत्पन्न करता है। काटने वाले औजारों की धार तेज होती है या कह सकते हैं उनकी सतह का क्षेत्रफल कम होता है और बल लगाने पर अधिक दाब उत्पन्न करता है और काटने में आसानी होती है।

➲ सभी द्रव और गैस है तरल कहलाती है। यह सभी दिशाओं में दाब लगाती है।

उत्प्लावन (Buoyancy):

➲ जब कोई वस्तु किसी तरल में डुबाई जाती है तो वस्तु का भार जो पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण होता है, वस्तु को नीचे की ओर व तरल उस पर ऊपर की तरफ बल लगता है।

➲ उत्प्लावन बल सदैव ऊपर की तरफ आरोपित होता है। इस बल का परिमाण द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है।

➲ वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल > उत्प्लावन बल`

निष्कर्ष – वस्तु डूब जाएगी।

➲ वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल < उत्प्लावन बल

निष्कर्ष – वस्तु तैरती है।

➲ यही कारण है कि लोहे की कील डूब जाती है बल्कि पानी का जहाज पानी की सतह पर तैरता है (आर्कमिडीज का सिद्धांत)

घनत्व (Density) – किसी पदार्थ का एकांक आयतन द्रव्यमान घनत्व कहलाता है। अगर पदार्थ का द्रव्यमान ‘m’ एवं आयतन ‘v’ हैं तो।

घनत्व = द्रव्यमान / आयतन

d = m / v

घनत्व का S.I. मात्रक Kg/m3 या Kg.m-3 है।

आर्कमिडीज का सिद्धांत (Archimedes Principle):

जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्णतः या अंशतः डुबोया जाता है, तब वस्तु ऊपर की तरफ लगने वाले एक बल का अनुभव करती है, यह बल वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।

आर्कमिडीज के सिद्धांत के उपयोग

(1) यह पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने में उपयोगी है।

(2) यह जलयानों और पनडुब्बियों के डिजाइन बनाने में प्रयोग किया जाता है।

(3) दुग्धमापी और हाइड्रोमीटर आर्कमिडीज के सिद्धांत पर आधारित है।

इसी कारण से लोहे एवं स्टील का बना एक जलयान इतना बड़ा होते हुए भी जल पर तैरता है लेकिन छोटी सी पिन जल में डूब जाते हैं।

आपेक्षिक घनत्व (Relative Density):

➲ आपेक्षिक घनत्व किस पदार्थ का घनत्व और पानी के घनत्व के अनुपात को आपेक्षिक घनत्व कहा जाता है।

➲ आपेक्षिक घनत्व  = पदार्थ का घनत्व / पानी का घनत्व

➲ इसका कोई मात्रक नहीं होता।

प्रश्न – सोने का आपेक्षिक घनत्व 19.3 है। जल का घनत्व 103 Kg/m है। तब सोने घनत्व S.I. मात्रक में दीजिए।

उत्तर – सोने का आपेक्षिक घनत्व = 19.3

                        जल का घनत्व = 103 Kg/m3

                       आपेक्षित घनत्व = सोने का घनत्व / जल का घनत्व

                                     19.3 = सोने का घनत्व / जल का घनत्व

                         सोने का घनत्व = 19.3 x 103 Kg/m3 

प्रश्न – 0.025 m3 एल्यूमिनियम का द्रव्यमान 67 Kg एल्यूमिनियम का घनत्व बताइए।

उत्तर – एल्यूमिनियम का द्रव्यमान (m) = 67 Kg

           एल्यूमिनियम का आयतन (v) = 0.025 m3

                                    घनत्व (d) = m / v

                                                  = 67 / 0.025

                                         घनत्व = 2680 Kg/m3 

प्रश्न – एक ईंट का द्रव्यमान 2.5 Kg है और उसकी विमाएं 20 cm x 10 cm x 5 cm है। फर्श पर लगने वाले दाब की गणना कीजिए। ईंट को अलग-अलग विमाओं वाली सतह से रखा जाता है।

उत्तर – दिया है

ईंट का द्रव्यमान (m) = 2.5 Kg

                   विमाएं = 20 cm x 10 cm x 5 cm

    ईंट का भार (बल) = m x g

                           = 2.5 x 9.8

                           = 24.5 N

(i) जब 10 cm x 5 cm वाली सतह फर्श के संपर्क में है।

क्षेत्रफल = 10 cm x 5 cm

           = 0.10 m x 0.05 m

           = 0.005 m2

     दाब = बल / क्षेत्रफल

           = 24.5 N / 0.005 m2

           = 4900 Nm-2 

(ii) जब 20 cm x 5 cm वाली सतह फर्श के संपर्क में है।

क्षेत्रफल = 20 cm x 5 cm

           = 0.2 m x 0.05 m

           = 0.01 m2

     दाब = बल / क्षेत्रफल

           = 24.5 N / 0.01 m2

           = 2450 Nm-2 

(iii) जब 20 cm x 10 cm वाली सतह फर्श के संपर्क में है।

क्षेत्रफल = 20 cm x 10 cm

           = 0.2 m x 0.1 m

           = 0.02 m2

     दाब = बल / क्षेत्रफल

           = 24.5 N / 0.02 m2

           = 1225 Nm-2 

प्रश्न – एक वस्तु जिसका भार 9.8 है, पर कोई बल लगता है। उस वस्तु का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए और त्वरण भी ज्ञात कीजिए।

उत्तर – बल (F) = 20 N

          भार (w) = 9.8 N

हम जानते हैं, w = m x g

                9.8 = m x 9.8

                  m = 1 Kg

और             F = m x a

                 20 = 1 x a

                   a = 20 m/s2

प्रश्न – एक व्यक्ति जिसका भार पृथ्वी पर 1200 N, उसका भार चांद पर 200 N हो जाता है। उस व्यक्ति का पृथ्वी पर और चांद पर द्रव्यमान ज्ञात कीजिए। उसका गुरुत्वीय त्वरण चांद पर कितना होगा।

उत्तर – व्यक्ति का पृथ्वी पर भार w1 = 1200 N

         व्यक्ति का चंद्रमा पर भार w2 = 200 N

                पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण = 10 m/s2

                                             w1 = m x g

                                             m = 1200/10 = 120

                                             m = 120 Kg

अतः द्रव्यमान भी चांद पर वही रहेगा जो पृथ्वी पर है क्योंकि द्रव्यमान हर जगह स्थिर रहता है।

अतः चांद पर द्रव्यमान = 120 Kg

                          w1 = m x g

                        200 = 120  x g

                           g = 200 / 120 = 1.66 m/s2

प्रश्न – कोई भी वस्तु सीधे ऊपर की तरफ फेंकी गई और 78.4 m की ऊंचाई पर पहुंची। उसका वेग ज्ञात कीजिए। (g = 9.8 m/s2)

उत्तर – दिया है, h = 78.4 m

                      V = 0

                      g = 9.8 m/s2

                      u = ?

 हम जानते है,   v2 = u2 – 2 gh

                        0 = u2 – 2 x 9.8 x 78.4

                       u2 = 2 x 98 x 784 / 10 x 10

                         u = √((2 x 98 x 784)/(10 x10))

                         u = √((2 x 2 x 49 x 784)/(10 x10))

                         u = (2 x 7 / 10) x √784

                         u = 39.2 m/s2

प्रश्न – किसी वस्तु का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए जिसका भार 49 न्यूटन है ?

उत्तर – दिया गया है,

वस्तु का भार (w) = 49 N

                     g = 9.8 m/s2

                    w = m x g

                    m = w / g

                    w = 49 /9.8 = 5 Kg

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