Class-10 Science Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Class-10 Science Chapter 9

Class-10 Science Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Class-10 Science Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

पाठ्यपुस्तक NCERT
कक्षा कक्षा-10
विषय विज्ञान
अध्याय अध्याय 9
प्रकरण अनुवांशिकता एवं जैव विकास
Class-10 Science Chapter 9- अनुवांशिकता एवं जैव विकास

जनन के दौरान विभिन्नताओं का संचयन:

Class-10 Science Chapter 9- जनन के दौरान विभिन्नताओं का संचयन

विभिन्नता के लाभ (Importance of Variation):

  • प्रकृति की विविधता के आधार पर विभिन्नता जीवो को विभिन्न प्रकार के लाभ हो सकते हैं।  उदाहरण- उष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है।
  • पर्यावरण कारकों द्वारा उत्तम परिवर्त का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनाता है।

स्वतंत्र (Free ear lobes) एवं जुड़े कर्णपाली (Attached ear lobe) मानव समष्टि में पाए जाने वाले दो परिवर्तन है।

मेंडल का योगदान (Mendel and his Work on Inheritance):

मेंडल ने वंशागति के कुछ मुख्य नियम प्रस्तुत किए।

मेंडल को अनुवांशिकी के जनक के नाम से जाना जाता है। मेंडल ने मटर के पौधे के विपर्यासी (7 विकल्पी) लक्षणों का अध्ययन किया जो स्थूल रूप से दिखाई देते हैं।

मेंडल द्वारा मटर के पौधों का चयन:

मेंडल ने मटर के पौधे का चयन निम्नलिखित गुणों के कारण किया-

  • मटर के पौधों में विपर्यासी विकल्पी लक्षण स्थूल रूप से दिखाई देते हैं।
  • इसका जीवन काल छोटा होता है।
  • सामान्यतः स्वपरागण होता है परंतु कृत्रिम तरीके से परपरागण भी कराया जा सकता है।
  • एक ही पीढ़ी में अनेक बीज बनता है।

मेंडल द्वारा अध्ययन किए गए मटर के पौधे के 7 विपर्यास विशेषक:

Class-10 Science Chapter 9- मेंडल द्वारा अध्ययन किए गए मटर के पौधे के 7 विपर्यास विशेषक

I. एकल संकरण (Monohybrid Cross):

मटर के दो पौधों के एक जोड़ी विकल्पी लक्षणों के मध्य क्रॉस संकरण को एकल संकरण क्रॉस कहा जाता है।

उदाहरण- लंबे पौधे तथा बौने पौधे के मध्य शंकरण

एकल संकरण (Monohybrid Cross):

Class-10 Science Chapter 9- एकल संकरण (Monohybrid Cross)

अवलोकन (Observation):

  1.  प्रथम संतति F1 पीढ़ी में सभी पौधे लंबे थे।
  2.  F2 पीढ़ी में 3/4 लंबे पौधे वे 1/4 बौने पौधे थे।
  3.  फीनोटाइप F2 – 3 : 1 (3 लंबे पौधे : 1 बौने पौधा)

      जीनोटाइप F2 – 1 : 2 : 1

      TT, Tt, tt का संयोजन 1 : 2 : 1 अनुपात में प्राप्त होता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

  1. TT व Tt दोनों लंबे पौधे हैं यद्यपि tt बौना पौधा होगा
  2. T की एक प्रति पौधों को लंबा बनाने के लिए पर्याप्त है। जबकि बौनेपन के लिए t की दोनों प्रतियां tt होनी चाहिए।
  3. T जैसे लक्षण प्रभावी लक्षण कहलाते हैं, t जैसे लक्षण अप्रभावी लक्षण कहलाते हैं।

II. द्वि-संकरण / द्वि-विकल्पीय संकरण (Dihybrid Cross):

मटर के दो पौधों के दो जोड़ी विकल्पी लक्षणों के मध्य क्रॉस

Class-10 Science Chapter 9- द्वि-संकरण / द्वि-विकल्पीय संकरण (Dihybrid Cross)

इस प्रकार से दो अलग अलग (बीजों की आकृति एवं रंग) को स्वतंत्र वंशानुगति होती है।

लक्षण अपने आपको किस प्रकार व्यक्त करते है।

प्रोटीन विभिन्न लक्षणों की अभिव्यक्ति को नियंत्रित करती है। (इंजाइम व हॉर्मोन)

लिंग निर्धारण (Sex Determination):

(Sex Chromosomes):

XX – Female

XY – Male

मानव में लिंग निर्धारण (Sex Determination in Human Beings):

Class-10 Science Chapter 9- मानव में लिंग निर्धारण (Sex Determination in Human Beings)

आधे बच्चे लड़के एवं आधे लड़की हो सकते हैं। सभी बच्चे चाहे वह लड़का हो अथवा लड़की अपनी माता से X गुणसूत्र प्राप्त करते हैं। अतः बच्चों का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिस बच्चे को अपने पिता से X गुणसूत्र वंशानुगत हुआ है वह लड़की एवं जिसे पिता से Y गुणसूत्र वंशानुगत  होता है, वह लड़का होता है।

जैव विकास (Evolution):

वह निरंतर धीमी गति से होने वाला प्रक्रम जो हजारों करोड़ों वर्ष पूर्व जीवो में शुरू हुआ जिससे नई स्पीशीज का उद्भव हुआ।

स्थिति – I

निष्कर्ष (Conclusion):

हरे भृंगों को प्राकृतिक चयन का फायदा हुआ क्योंकि वे हरी झाड़ियों में दृश्य नहीं थे। यह प्राकृतिक चयन कौओं द्वारा किया गया। प्रकृतिक चयन भृंग समष्टि में अनुकूल दर्शा रहा है जिससे समष्टि पर्यावरण में और अच्छी तरह से रह सके।

स्थिति – II

निष्कर्ष (Conclusion):

रंग परिवर्तन से अस्तित्व के लिए कोई लाभ नहीं मिला। यह संयोग ही था कि दुर्घटना के कारण एक रंग की भृंग समष्टि बच गई जिससे समष्टि का स्वरूप बदल गया। अतः छोटी समष्टि में दुर्घटनाएं किसी जीन की आवृत्ति को प्रभावित कर सकती है जबकि उनका उत्तरजीविता हेतु कोई लाभ ना हो।

स्थिति- III

निष्कर्ष (Conclusion):

भृंगों की जनसंख्या में कोई अनुवांशिक परिवर्तन नहीं आता। जनसंख्या में प्रभाव कुछ समय के लिए पर्यावरण के कारण आया था।

उपार्जित एवं अनुवांशिक लक्षण (Acquired and Inherited Traits):

Class-10 Science Chapter 9- उपार्जित एवं अनुवांशिक लक्षण (Acquired and Inherited Traits)

जाति उद्भव किस प्रकार होता है?

1. जीन प्रवाह (Gene flow):

उन दो समष्टियों के बीच होता है जो पूरी तरह से अलग नहीं हो पाती है किंतु आंशिक रूप से अलग अलग है।

Class-10 Science Chapter 9- जीन प्रवाह (Gene flow)

2. अनुवांशिक विचलन (Genetic drift):

किसी एक समस्ती की उत्तरोत्तर पीढ़ियों में जींस की बारंबारता से अचानक परिवर्तन का उत्पन्न होना।

3. प्राकृतिक चुनाव (Natural selection):

वह प्रक्रम जिसमें प्रकृति उन जीवों का चुनाव कर बढ़ावा देती है जो बेहतर अनुकूलन करते हैं।

4. भौगोलिक पृथक्करण (Geographical isolation):

जनसंख्या में नदी, पहाड़ आदि के कारण आता है। इससे दो उपसमष्टि के मध्य अंतर्जनन नहीं हो पाता।

अनुवांशिक विचलन:

Class-10 Science Chapter 9- अनुवांशिक विचलन

अनुवांशिक विचलन का कारण:

  1. यदि DNA में परिवर्तन पर्याप्त है।
  2. गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन।

विकासीय संबंध योजना

I. समजात अभिलक्षण (Homologous Organs):

विभिन्न जीवों में यह अभिलक्षण जिनकी आधारभूत संरचना लगभग एक समान होती है। यद्यपि विभिन्न जीवों में उनके कार्य भिन्न भिन्न होते हैं।  उदाहरण- पक्षियों, सरीसृप, जल- स्थलचर, स्तनधारियों में पदों की आधारभूत संरचना एक समान है, किंतु यह विभिन्न कशेरुकी जीवो में भिन्न-भिन्न कार्य के लिए होते हैं।

समजात अंग यह प्रदर्शित करते हैं कि इन अंगों की मूल उत्पत्ति एक ही प्रकार के पूर्वजों से हुई है व जैव विकास का प्रमाण देते हैं।

II. समरूप अभिलक्षण (Analogous Organs):

वह अभिलक्षण जिनकी संरचना व संघटकों में अंतर होता है, सभी की उत्पत्ति भी समान नहीं होती किंतु कार्य समान होता है।

उदाहरण- पक्षी के अग्रपाद एवं चमगादड़ के अग्रपाद।

समरूप अंग यह प्रदर्शित करते हैं की जंतुओं के अंग जो समान कार्य करते हैं, अलग-अलग पूर्वजों से विकसित हुए हैं।

III. जीवाश्म (Fossils):

जीव के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं। उदाहरण- जैसे कोई मृत कीट गर्म मिट्टी में सूख कर कठोर हो जाए

उदाहरण-

जीवाश्म कितने पुराने हैं (Age of Fossils):

  1. खुदाई करने पर पृथ्वी की सतह के निकट वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए होते हैं।
  2. फॉसिल डेटिंग- जिसमें जीवाश्म में पाए जाने वाले किसी एक तत्व के विभिन्न समस्थानिकों का अनुपात के आधार पर जीवाश्म का समय निर्धारण किया जाता है।

विकास एवं वर्गीकरण (Evolution and Classification):

विकास एवं वर्गीकरण दोनों आपस में जुड़े हैं।

  1. जीवो का वर्गीकरण उनके विकास के संबंधों का प्रतिबिंब है
  2. दो स्पीशीज के मध्य जितने अधिक अभिलक्षण समान होंगे उनका संबंध भी उतना ही निकट का होगा।
  3. जितनी अधिक समानताएँ  उनमें होगी उनका उद्भव भी निकट अतीत में समान पूर्वजों से हुआ होगा।
  4. जीवो के मध्य समानताएँ हमें उन जीवों को एक समूह में रखने और उनके अध्ययन का अवसर प्रदान करती है।

विकास के चरण (Evolution by Stages):

विकास क्रमिक रूप से अनेक पीढ़ियों में हुआ।

I. योग्यता को लाभ (Fitness Advantage):

आंख का विकास (Evolution of Eyes):

जटिल अंगों का विकास डी. एन. ए. में मात्र एक परिवर्तन द्वारा संभव नहीं है, यह क्रमिक रूप से अनेक पीढ़ियों में होता है।

  • प्लैनेरिया में अति सरल आँख होती है।
  • कीटों में जटिल आँख होती है।
  • मानव में द्विनेत्री आँख होती है।

II. गुणवत्ता के लाभ (Functional Advantage):

पंखों का विकास (Evolution of Feathers):

पंख (पर) – ठंडे मौसम में ऊष्मा रोधन के लिए विकसित हुए थे, कालांतर में उड़ने के लिए भी उपयोगी हो गए।

उदाहरण- डाइनोसॉर के पंख थे, पर पंखों से उड़ने में समर्थ नहीं थे। पक्षियों ने परों को उड़ने के लिए अपनाया।

कृत्रिम चयन (Evolution by Artificial Selection):

बहुत अधिक भिन्न दिखने वाली संरचनाएं एक समान परिकल्प में विकसित हो सकती है।  2000 वर्ष पूर्व मनुष्य जंगली गोभी को एक खाद पौधे के रूप में उड़ाता था तथा उसने चयन द्वारा इससे विभिन्न सब्जियाँ विकसित की। इसे कृत्रिम चयन कहते हैं।

Class-10 Science Chapter 9- कृत्रिम चयन (Evolution by Artificial Selection)

आणविक जातिवृत (Molecular Phylogeny):

  • यह इस विचार पर निर्भर करता है कि जनन के दौरान डी.एन.ए. में होने वाले परिवर्तन विकास की आधारभूत घटना है.
  • दूरस्थ संबंधी जीवो के डी.एन.ए. में विभिन्नताएँ अधिक संख्या में संचित होंगी।

Class-10 Science Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

मानव विकास (Human Evolution):

Class-10 Science Chapter 9- मानव विकास (Human Evolution):

अनुवांशिकी परिभाषाएँ (Genetic Terminology):

1. जीन (Gene):

मेंडल ने जीन को कारक अथवा फैक्टर कहा। जीन अनुवांशिकता की इकाई है।

2. युग्म विकल्पी (Allele):

विकल्पी विपरीत लक्षणों के संकेतक जोड़े को युग्म विकल्पी कहा जाता है। ये एक ही जीन के थोड़ा सा भिन्न रूप होते हैं।

3. विषमयुग्मजी (Heterozygous):

वे जीव जिनमें विपरीत विशेषकों के अलील होते हैं। Tt

4. समयुग्मजी (Homozygous):

वे जीव जिनमें समान विशेषकों के अलील होते हैं। जैसे- TT, tt

5. प्रभाविता (Dominant):

वह जीन जो F1 पीढ़ी में प्रकट होता है।

6. अप्रभावी (Recessive):

वह जीन जो प्रभावी जीन के समक्ष प्रकट नहीं होता।

7. जीनी प्ररूप (Genotype):

जीव का जीन वे आधार पर प्ररूप: जैसे TT या tt

8. दृश्य प्ररूप (Phenotype):

जीव का बाहरी दृश्य के आधार पर प्ररूप; जैसे- लंबे पौधे, बौने पौधे।

9. सूक्ष्म विकास(Micro-evolution):

छोटे क्षेत्र में होने वाला विकास। उदाहरण- भृंगों (beetles) के शरीर के रंग में परिवर्तन।

10. स्पीशीज (Species):

जनसंख्या में समान जीवों का समूह जो आपस में निषेचन कर,  उत्पादक जीव बनाता है।

11. गुणसूत्र (Chromosome):

धागे जैसी संरचनाएँ जो कोशिका के केंद्र में पाई जाती है, जिसमें कोशिका की अनुवांशिक सूचना होती है

12. डी.एन.ए (DNA):

डी-ऑक्सी- राइबोज न्यूक्लिक अम्ल, यह गुणसूत्र में उपस्थित होता है।

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