Class 10 Science Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

नियंत्रण एवं समन्वय

Class 10 Science Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय, इस अध्याय में हमलोग जन्तु एवं पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय की प्रक्रिया आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे।

Class 10 Science Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

पाठ्यपुस्तक NCERT
कक्षा कक्षा-10
विषय विज्ञान
अध्याय अध्याय 7
प्रकरण नियंत्रण एवं समन्वय

परिचय (Introduction):

  • सभी सजीव अपने पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों के अनुक्रिया करते हैं।
  • पर्यावरण में हो रहे ये परिवर्तन जिसके अनुरूप सजीव अनुक्रिया करते हैं, उद्दीपन कहलाता है। जैसे कि प्रकाश, ऊष्मा, ठंडा, ध्वनि, सुगंध, स्पर्श आदि।
  • पौधे एवं जंतु अलग-अलग प्रकार से उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया करते हैं।

जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय

सभी जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय दो मुख्य तंत्रों द्वारा किया जाता है-

  1.  तंत्रिका तंत्र (Nervous System)
  2.  अंतः स्रावी तंत्र (Endocrine System)

तंत्रिका तंत्र (Nervous System):

  • नियंत्रण एवं समन्वय तंत्रिका एवं पेशीय उत्तक द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरॉन के एक संगठित जाल का बना होता है और यह सूचनाओं को विद्युत आवेग के द्वारा शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक ले जाता है।

ग्राही (Receptors):

ग्राही तंत्रिका कोशिका के विशिष्टीकृत सिरे होते हैं, जो वातावरण से सूचनाओं का पता लगाते हैं। यह ग्राही हमारी ज्ञानेंद्रियों में स्थित होते हैं।

नियंत्रण एवं समन्वय- ग्राही (Receptors):

तंत्रिका कोशिका (Neuron):

यह तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।

नियंत्रण एवं समन्वय- तंत्रिका कोशिका (Neuron)
चित्र: (a) तंत्रिका कोशिका (b) तंत्रिका पेशीय संधि

तंत्रिका कोशिका के भाग (Parts of Neuron):

  •  द्रुमिका  (Dendrite): कोशिका काय से निकलने वाली धागे जैसी संरचनाएं, जो सूचना प्राप्त करती है।
  •  कोशिका काय (Cell Body): प्राप्त की गई सूचना विद्युत आवेग के रूप में चलती है।
  •  तंत्रिकाक्ष (Axon): यह सूचना के विद्युत आवेग को, कोशिका काय से दूसरी न्यूरॉन की द्रुमिका तक पहुंचाता है।

अंतर्ग्रथन (Synapse):

यह तंत्रिका के अंतिम सिरे एवं अगली तंत्रिका कोशिका के द्रुमिका के मध्य का रिक्त स्थान है। यहां विद्युत आवेग को रासायनिक संकेत में बदला जाता है जिससे यह आगे संचरित हो सके।

प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action):

किसी उद्दीपन के प्रति तेज व अचानक की गई अनुक्रिया प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है।

उदाहरण:

किसी गर्म वस्तु को छूने पर हाथ को पीछे हटा लेना।

प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc):

प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान विद्युत आवेग जिस पथ पर चलते हैं, उसे प्रतिवर्ती चाप कहते हैं।

अनुक्रिया (Response): यह तीन प्रकार की होती है।

  1. ऐच्छिक (Voluntary): अग्रमस्तिष्क द्वारा नियंत्रण की जाती है। उदाहरण: बोलना, लिखना
  2. अनैच्छिक (Involuntary): मध्य एवं पश्चमस्तिष्क द्वारा नियंत्रण की जाती है।  उदाहरण: श्वसन,  दिल का धड़कन।
  3. प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action): मेरुरज्जु द्वारा नियंत्रित की जाती है। उदाहरण: गर्म वस्तु छूने पर हाथ को हटा लेना।

प्रतिवर्ती क्रिया की आवश्यकता: कुछ परिस्थितियों में जैसे गर्म वस्तु छूने पर, पैनी वस्तु चुभने पर आदि हमें तुरंत क्रिया करनी होती है वरना हमारे शरीर को क्षति पहुंच सकती है।  यहां अनुक्रिया मस्तिष्क के स्थान पर मेरुरज्जु से उत्पन्न होती है, जो जल्दी होती है।

मानव मस्तिष्क (Human Brain):

मस्तिष्क सभी क्रियाओं के समन्वय का केंद्र है। इसके तीन मुख्य भाग हैं।

  1. अग्र मस्तिष्क (Fore-brain)
  2.  मध्य मस्तिष्क (Mid-brain)
  3.  पश्चमस्तिसक (Hind-brain)

अग्र मस्तिष्क (Fore-brain):

यह मस्तिष्क का सबसे अधिक जटिल एवं विशिष्ट भाग है। यह प्रमस्तिष्क है।

कार्य (Functions):

  • मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग
  • ऐच्छिक कार्यों को नियंत्रित करता है।
  • सूचनाओं को याद रखना
  • शरीर के विभिन्न हिस्सों से सूचनाओं को एकत्रित करना एवं उनका समायोजन करना।
  • भूख से संबंधित केंद्र
नियंत्रण एवं समन्वय- मानव मस्तिष्क (Human Brain)

मध्य मस्तिष्क (Mid-brain):

अनैच्छिक क्रिया को नियंत्रित करना। जैसे- पुतली के आकार में परिवर्तन। सिर, गर्दन आदि की प्रतिवर्ती किया।

पश्च मस्तिष्क (Hind-brain):

इसके तीन भाग हैं

  • अनु मस्तिष्क (Cerebellum): शरीर के संस्थिति तथा संतुलन बनाना,ऐच्छिक क्रियाओं की परिशुद्धि। उदाहरण: पेन उठाना।
  • मेडुला (Medulla): अनैच्छिक कार्यों का नियंत्रण जैसे- रक्तचाप, वमन आदि।
  • पॉन्स (Pons): अनैच्छिक क्रियाओं जैसे श्वसन का नियंत्रण।

मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु की सुरक्षा (Protection of Brain and Spinal Cord):

मस्तिष्क: मस्तिष्क एक हड्डियों के बॉक्स में अवस्थित होता है। बॉक्स के अंदर तरलपूरित गुब्बारे में मस्तिष्क होता है जो प्रघात अवशोषण का कार्य करता है।

 मेरुरज्जु: मेरुरज्जु की सुरक्षा कशेरुकदंड या रीढ़ की हड्डी करती है।

तंत्रिका उत्तक एवं पेशी उत्तक के बीच समन्वय (Coordination between Nervous and Muscular Tissue):

नियंत्रण एवं समन्वय- तंत्रिका उत्तक एवं पेशी उत्तक के बीच समन्वय

विद्युत संकेत या तंत्रिका तंत्र की सीमाएं (Limitations of Electric Communication / Nervous System):

  1. विद्युत संवेग केवल उन कोशिकाओं तक पहुंच सकता है, जो तंत्रिका तंत्र से जुड़ी है।  
  2. एक बार विद्युत आवेग उत्पन्न करने के बाद कोशिका, नया आवेग उत्पन्न करने से पहले, अपनी कार्यविधि सुचारु करने के लिए समय लेती है। अतः कोशिका लगातार आवेग उत्पन्न नहीं कर सकती।
  3. पौधों में कोई तंत्रिका तंत्र नहीं होता।

रासायनिक संचरण (Chemical Communication): विद्युत संचरण की सीमाओं को दूर करने के लिए रासायनिक संचरण का उपयोग शुरू हुआ।

पौधों में समन्वय (Coordination in Plants):

पौधों में गति:

  • वृद्धि का गति पर निर्भर न होना।
  • वृद्धि पर निर्भर गति।

(i) वृद्धि का गति पर निर्भर न होना (Independent of Growth):

  • पौधे विद्युत-रासायनिक साधन का उपयोग कर सूचनाओं को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक पहुंचाते है।
  • कोशिका अपने अंदर उपस्थित पानी की मात्रा को परिवर्तित कर, गति उत्पन्न करती है जिससे कोशिका फूल या सिकुड़ जाती है।

उदाहरण:

छूने पर छुई-मुई पौधे की पत्तियों का सिकुड़ना

(ii) वृद्धि के कारण गति (Dependent on Growth):

ये दिशिक या अनुवर्तन गतियों, उद्दीपन के कारण होती हैं।

  • प्रतान (Tendrils): प्रतान का वह भाग जो वस्तु से दूर होता है, वस्तु के पास वाले भाग की तुलना में तेजी से गति करता है जिससे प्रतान वस्तु के चारों तरफ लिपट जाती है।
  • प्रकाशानुवर्तन (Phototropism): प्रकाश की तरफ गति
  • गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism): पृथ्वी की तरफ या दूर गति
  • रसायनानुवर्तन (Chemotropism): पराग नली की अंडाशय की तरफ गति
  • जलानुवर्तन (Hydrotropism): पानी की तरफ जड़ों की गति

पादप हॉर्मोन (Plant Hormones):

ये वो रसायन है जो पौधों की वृद्धि, विकास व अनुक्रिया का समन्वय करते है।

मुख्य पादप हार्मोन है:

नियंत्रण एवं समन्वय- पादप हार्मोन

जंतुओं में हार्मोन (Hormones in Animals):

हॉर्मोन (Hormones): ये वो रसायन है जो जंतुओं की क्रियाओं, विकास एवं वृद्धि का समन्वय करते हैं।

अंतः स्रावी ग्रंथि (Endocrine Glands): ये वो ग्रंथियाँ है जो अपने उत्पाद रक्त में स्रावित करती हैं, जो हार्मोन कहलाते हैं।

हॉर्मोन (Hormones), अंतः स्रावी ग्रंथियाँ (Endocrine Glands) एवं उनके कार्य:

नियंत्रण एवं समन्वय- जंतुओं में हार्मोन
नियंत्रण एवं समन्वय-

आयोडीन युक्त नमक आवश्यक है:

अवटुग्रंथि (Thyroid Gland) को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है। थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, वसा तथा प्रोटीन के उपापचय का नियंत्रण करता है जिससे शरीर की संतुलित वृद्धि हो सके। अतः अवटुग्रंथि के सही रूप से कार्य करने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडीन की कमी से गला फूल जाता है जिसे गॉयटर (swollen neck) बीमारी कहते हैं।

मधुमेह (Diabetes):

इस बीमारी में रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।

कारण (Cause): अग्नाशय ग्रंथि द्वारा स्रावित इंसुलिन हॉर्मोन की कमी के कारण होता है। इंसुलिन रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।

उपचार (Treatment): इंसुलिन हॉर्मोन का इंजेक्शन।

पुनर्भरण क्रियाविधि (Feedback Mechanism):

हॉर्मोन का अधिक या कम मात्रा में स्रावित होना हमारे शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालता है। पुनर्भरण क्रियाविधि यह सुनिश्चित करती है कि हॉर्मोन सही मात्रा में तथा सही समय पर स्रावित हो।

उदाहरण:

रक्त में शर्करा के नियंत्रण की विधि।

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