Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन

Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन

प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन: Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन

Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन

पाठ्यपुस्तक NCERT
कक्षाकक्षा-10
विषय विज्ञान
अध्याय अध्याय 16
प्रकरण प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन

प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources):

वे संसाधन जो हमें प्रकृति ने दिए हैं और जीवों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। जैसे- मिट्टी, वायु, जल, कोयला, पेट्रोलियम, वन्य जीवन, वन।

Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन- प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)

प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (Management of Natural Resources):

प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखने के लिए इनके प्रबंधन की आवश्यकता होती है ताकि यह अगली पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सके और संसाधनों का शोषण न हो।

पर्यावरण को बचाने के लिए राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय अधिनियम हैं।

गंगा कार्य परियोजना (GAP- Ganga Action Plan):

यह कार्य योजना करोड़ों रुपयों का एक प्रोजेक्ट है। इसे सन् 1985 में गंगा स्तर सुधारने के लिए बनाया गया।

जल की गुणवत्ता या प्रदूषण मापने हेतु कुछ कारक हैं-

(1) जल का PH जो आसानी से सार्व सूचक की मदद से मापा जा सकता है।

(2) जल में कोलिफार्म जीवाणु (जो मानव की आंत में पाया जाता है) की उपस्थिति जल का संदूषित होना दिखाता है।

पर्यावरण को बचाने के लिए 5R

Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन- पर्यावरण को बचाने के लिए 5R

पुनः इस्तेमाल/उपयोग, पुनः चक्रण से बेहतर है क्योंकि इसमें ऊर्जा की बचत होती है।

हमें संसाधनों के प्रबंधन की आवश्यकता है क्योंकि-

(1) ये बहुत ही सीमित है।

(2) स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण जनसंख्या में वृद्धि हो रही है और इसके कारण सभी संसाधनों की मांग में वृद्धि हो रही है।

Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन

संपोषित विकास (Sustainable Management):

संपोषित विकास की संकल्पना मनुष्य की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति और विकास के साथ-साथ भावी संतति के लिए संसाधन का संरक्षण भी करती है।

प्राकृतिक संसाधनों की व्यवस्था करते समय ध्यान देना होगा-

(1) दीर्घकालिक दृष्टिकोण- ये प्राकृतिक संसाधन भावी पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सके।

(2) इनका वितरण सभी समूहों में समान रूप से हो, न कि कुछ प्रभावशाली लोगों को ही इसका लाभ हो।

(3) अपशिष्टों के सुरक्षित निपटान का भी प्रबंध होना चाहिए।

वन एवं वन्य जीवन संरक्षण (Forest and Wildlife Conservation):

वन, जैव विविधता के तप्त स्थल हैं। जैव विविधता को संरक्षित रखना प्राकृतिक संरक्षण के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है क्योंकि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व (Ecological Balance) नष्ट हो सकता है।

जैव विविधता (Biodiversity):

जैव विविधता किसी एक क्षेत्र में पाई जाने वाली विविध स्पीशीज की संख्या है जैसे- पुष्पी पादप, पक्षी, कीट, सरीसृप, जीवाणु आदि।

तप्त स्थल (Hot Spots):

ऐसा क्षेत्र जहाँ अनेक प्रकार की संपदा पाई जाती है।

दावेदार (Stake Holder):

ऐसे लोग जिनका जीवन, कार्य किसी चीज पर निर्भर हो, वे उसके दावेदार होते है।

कुछ ऐसे उदाहरण जहाँ निवासियों ने वन संरक्षण में मुख्य भूमिका निभाई है।

(1) खेजरी वृक्षअमृता देवी विश्नोई ने 1731 में राजस्थान के जोधपुर के एक गाँव में खेजरी वृक्षों को बचाने के लिए 363 लोगों के साथ अपने आप बलिदान कर दिया था।

भारत सरकार ने जीव संरक्षण के लिए अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा की जो उनकी स्मृति में दिया जाता है।

(2) चिपको आंदोलन- यह आंदोलन गढ़वाल के ‘रेनी’ नाम के गाँव में हुआ था। वहाँ की महिलायें उसी समय वन पहुँच गई जब ठेकेदार के आदमी वृक्ष काटने लगे थे। महिलाएं पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गई और ठेकेदार के आदमीयों को वृक्ष काटने से रोक लिया। यह आंदोलन तीव्रता से बहुत से समुदायों में फैल गया और सरकार को वन संसाधन के उपयोग के लिए प्राथमिकता निश्चित करने पर पुनः विचार करने पर मजबूर कर दिया।

(3) पश्चिम बंगाल के वन विभाग ने क्षयित हुए साल के वृक्ष को अराबाड़ी वन क्षेत्र में नया जीवन दिया।

सभी के लिए जल (Water for All):

  • जल पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों की मूलभूत आवश्यकता है।
  • वर्षा हमारे लिए जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • भारत के कई क्षेत्रों में बांध, तालाब और नहरें सिंचाई के लिए उपयोग किए जाते हैं।

बांध (Dams):

बांध में जल संग्रह काफी मात्रा में किया जाता है जिसका उपयोग सिंचाई में ही नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन में भी किया जाता है।

कई बड़ी नदियों के जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बांध बनाए गए हैं। जैसे-

(a) टिहरी बांध- नदी भगीरथी (गंगा)

(b) सरदार सरोवर बांध- नर्मदा नदी

(c) भखड़ा नांगल बांध- सतलुज नदी

बांधों के लाभ (Advantages of Dams):

  1. सिंचई के लिए पर्याप्त जल सुनिश्चित करना।
  2. विद्युत उत्पादन।
  3. क्षेत्रों में जल का लगातार वितरण करना।

बांधों के हानियाँ (Disadvantages of Dams):

(a) सामाजिक समस्याएँ (Social Problems):

  1. बड़ी संख्या में किसान एवं आदिवासी विस्थापित होते हैं।
  2. उन्हें मुआवजा भी नहीं मिलता।

(b) पर्यावरण समस्याएँ (Environmental Problems):

  1. वनों का क्षय होता है।
  2. जैव विविधता को हानी होती है।
  3. पर्यावरण संतुलन बिगड़ता है।

(c) आर्थिक समस्याएँ (Economic Problems):

  1. जनता का अत्यधिक धन लगता है।
  2. उस अनुपात में लाभ नहीं होता।

जल संग्रह (Water Harvesting):

  • इसका मुख्य उद्देश्य है भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास करना।

वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting):

  • वर्षा जल संचयन से वर्षा जल को भूमि के अंदर भौम जल के रूप में संरक्षित किया जाता है।
  • जल संग्रह भारत में बहुत प्राचीन संकल्पना है।
  • कुछ पुराने जल संग्रह के तरीके हैं-
Class-10 Science Chapter 16. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन- वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting)

भौम जल के रूप में संरक्षण के लाभ (Advantages of storing water in the ground):

  1. पानी का वाष्पीकरण नहीं होता।
  2. यह कुओं को भड़ता है।
  3. पौधों को नमी पहुँचाता है।
  4. मच्छरों के जनन की समस्या नहीं होती।
  5. यह जंतुओं के अपशिष्ट के संरक्षण से संदूषित से सुरक्षित रहता है।

कोयला और पेट्रोलियम (Coal and Petroleum):

  • कोयला और पेट्रोलियम अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है।
  • इन्हे जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं।

निर्माण (Formation):

कोयला– 300 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी में वनस्पति अवशेषों के अपघटन से कोयले का निर्माण हुआ।

पेट्रोलियम– पेट्रोलियम समुद्र में रहने वाले जीवों के मृत अवशेषों के अपघटन से हुआ। यह अपघटन उच्च दाब और उच्च ताप के कारण हुआ और पेट्रोलियम के निर्माण में लाखों वर्ष लगे।

कोयला और पेट्रोलियम भविष्य में समाप्त हो जाएंगे।

(a) कोयला- वर्तमान दर से प्रयोग करने पर कोयला अगले 200 वर्षों तक उपलब्ध रह सकता है।

(b) पेट्रोलियम- वर्तमान दर से प्रयोग करने पर पेट्रोलियम केवल अगले 40 वर्षों तक ही मिलेगा।

जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से होने वाली हानियाँ (Harmful effects of using fossil fuels):

1. वायु प्रदूषण (Air Pollution):- कोयला और हाइड्रोकार्बन के दहन से बड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्पन्न होती हैं जो वायु को प्रदूषित करती हैं।

2. बीमारियाँ (Disease):- यह प्रदूषित वायु कई प्रकार की श्वसन समस्याएँ उत्पन्न करती हैं और कई रोग जैसे-दमा, खांसी का कारण बनती हैं।

3. वैश्विक ऊष्मा (Global Warming):- जीवाश्म इंधनों के दहन से CO2 गैस उत्पन्न होती है जो ग्रीन हाउस गैस है और विश्व उष्मणता उत्पन्न करती है।

जीवाश्म इंधनों के प्रयोग में मितव्ययता बरतनी चाहिए।

(a) ये समाप्य और सीमित हैं।

(b) एक बार समाप्त होने के बाद ये निकट भविष्य में उपलब्ध नहीं हो पाएंगे क्योंकि इनके निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही धीमी होती है और उसमें कई वर्ष लगते हैं।

जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को सीमित करने का उपाय (Steps taken to conserve energy resources):

(a) जिन विद्युत उपकरणों का उपयोग नहीं हो रहा हो उनका स्विच बंद करें।

(b) घरों में CFL का उपयोग करें जिस से बिजली की बचत हो।

(c) निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक यातायात का प्रयोग करना।

(d) लिफ्ट की अपेक्षा सीढ़ी का उपयोग करना।

(e) जहाँ हो सके सोलर कुकर का प्रयोग करना।

error:
Scroll to Top